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तुम आना इस ओर कभी..

Pradeep
Pradeep
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alone

तुम आना इस ओर कभी,
जब तन्हा महसूस करो,
दो बातें इक रोज करो.
जब खो जाए चित्तचोर हंसी,
तुम आना इस ओर कभी|
.
जब आँखों में सावन छाए,
मन बरबस रोने को आये.
श्रृंगार किये हो सोलह तुम,
पर दर्पण नहीं रिझाए|
.
मन झांके हर आँगन कोना,
तन पथराया सा एक खिलौना,
जब भरमावे ना लागे जी,|
तुम आना इस ओर कभी|
.
हृदय प्रेम से भर दूंगा,
तुमको नैनो में भर लूँगा,
मुस्कान तुम्हारी लाकर मैं,
इन अधरों में धर दूंगा|
.
जब जानोगी प्यार मेरा,
खुद पर ही इतराओगी,
कसक प्रेम की खींचेगी,
तुम दौड़ चली आ जाओगी |

.
तन्हा जब भी मुरझाओगी,
साथ खड़ा तब पाओगी,
मैं खड़ा मिलूँगा सदा यहीं,
तुम आना इस ओर कभी |

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